मुलाकात - 5

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मैं वर्षा का नाम सुनकर,मेरे मन ने मुझे सावलो के कटघरे में खड़ा कर दिया,वर्षा यहां? मैं चोंकते हुए,फिर क्या था, मैं बिना देरी किये जल्दी से तैयार हो गया फिर मैंने अपनी बाइक "आर वन फाइब निकाली,और माँ को कहते हुये मैं वहाँ से शौर्य के घर मकुन्दपुर के लिए निकल गया।मैं वर्षा का ख्याल मन में लेकर काफी तेजी मकुन्दपुर की ओर बढ़ रहा था,कि रास्ते मे जैसे मधुवन चौक पहुँचा वहाँ देखा कि काफी लम्बा जाम लगा हुआ है,समय तरीबन