छुट-पुट अफसाने - 17

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एपिसोड---17 गीत-संगीत, शेरों-शायरी, ग़ज़ल-नज़्म में अभिरुचि होने से मन का पंछी ऐसे ठौर ढूंढता रहता है, जहां उसकी प्यास बुझ सके। फिर चाहे वो"हरवल्लभ संगीत सम्मेलन"हो, "मदन मोहन नाईट"हो या " शाम-ए-फ़ाक़िर लो"हो। इन अज़ीम हस्तियों का गीत, संगीत या कलाम किसी भी रूप में हो रूह की ख़ुराक़ बन जाता है। पिछले ग्यारह सालों से इन दिनों का इंतजार रहता है क्योंकि फ़ाकिर साहब की पुण्यतिथि 18 फरवरी है और इसके आसपास जो शनिवार आता है, उनके बेटे मानव उस शाम को "शाम-ए-फ़ाकिर" कहलाने का सौभाग्य प्रदान कर देते हैं। इस वर्ष इस शाम का कुछ बेसब्री से इंतजार