छुट-पुट अफसाने - 14

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एपिसोड--14 चटख चांदनी रात में बर्फ के दरिया पर चांदनी को फिसलते देख कर भाव विभोर हो रही थी मैं! ...सामने टी वी चल रहा था और मैं चांद की जगमग में सराबोर सन् 1963 में पहुंच गई थी। उस रात हम सब, घर की बेटियां और बहुएं खुली जीप में मैहर की सड़कों पर गेड़ियां मार रहीं थीं गाने गाते हुए। जीप चला रहा था कमला (मेरी cousin) का देवर, जो इलाहाबाद के hostel से आया था। शर्त थी कि सब चांद पर गाने गायेंगे। और जीप घूमती रहेगी। और वो गाने थे... " ये रात ये चांदनी फिर