एपिसोड --13 किसी शायर ने क्या खूब इश्क के फितूर की बात कही है ... " फितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा चढ़ती है जब इश्क की खुमारी ख़ुदा-खुदा । हंसता-खेलता बचपन दहलीज से पांव बाहर निकालने को होता है कि अल्हड़़ जवानी पीछे से आकर उसे पाश में बांध लेती है । ऐसा जादू चलता है उसका कि बचपन कब नन्हे पदचाप लिए किस ओर भाग जाता है, उसका पता ही नहीं चल पाता है । इसकी गवाही में स्कूल और आसपास का वातावरण सार्थक मूक-दर्शक होता है । यहां मैं इश्क-हकीक़ी या इश्क-हबीबी की बात नहीं करूंगी।