एपिसोड--10 जाने-अनजाने झोली में ढेरों यादें, लम्हे, एहसास, मुस्कुराहटें, खिलखिलाहटें बटोरते रहते हैं हम सब । जब कभी उनमें से किसी भी एहसास के साथ वक्त बिताने को दिल करे तो सब एक से एक बढ़कर आगे मुंह निकालते हैं-- मैं-, पहले मैं-, नहीं पहले मैं ! चलो, आज यही सही... असल में हम पुराने समय में वास्तविकता के धरातल पर नहीं, अपितु काल्पनिकता की उड़ानें भरते थे। कारण, एकदम साफ है। हमें काल्पनिक कहानियां सुनाई जातीं थी । परियों, राजा-रानी, राजकुमार- राजकुमारियां, राक्षस- चुड़ैल या भूतों की बनावटी कहानियां । अभी भी ज़हन में हैं। सुनते-सुनते कभी हम सपनों