एपिसोड ७ कुछ घटनाएं स्मृतियों में अंकित तो होती हैं। लेकिन वक्त़ की ग़र्द पड़ने से ज़हन में ही कहीं दफ्न पड़ी होती हैं, पर मिटती नहीं हैं । ख़ास कर बचपन की यादें...तब "तबूला-रासा" पर नई लिखावट थी शायद, इसीलिए ! १३अगस्त १९४७ को शादी की रौनक धीरे-धीरे ख़त्म होने की तैयारी में थी कि अगले दिन १४ अगस्त को रेडियो के आसपास सब भीड़ जमा कर के बैठ गए। ख़बरों का बाजार गर्म था । लेकिन भारत के मध्य में तो वैसे भी राजनैतिक हलचल ठंडी थी । उत्तर भारत के लोग जिन मुसीबतों से जूझ रहे