एकलव्य 17

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17 युद्धभूमि में दर्शन ! .......और एक दिन बहुप्रक्षित महायुद्ध आरम्भ हो गया । हालांकि दोनो ओर से न आक्रमण का आदेश हुआ था और न कोई तीर चला । सेनायें आमने सामने आ डटी थी । यौद्धा अपने हथियार चमका रहे थे । संजय ने जो कुछ धृतराष्ट्र को सुनाया उसे गुप्त भाषा में लिखकर पुष्पक ने अपने राजा को सारा वृतांत भेज दिया । जिसे उस भरी राजसभा में मंत्री शंखधर उसे पढने का प्रयास कर रहे थे । सहसा उन्होंने सिर ऊॅंचा किया ......... और कहा, ’’अब तो दोनों सेनायें आमने सामने कुरूक्षेत्र के मैदान में आकर