शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 27

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बॉडी डबल हाशना को जैसे सुबह होने का ही इंतजार था। वह सुबह छह बजे ही सोहराब की कोठी पर पहुंच गई। सोहराब लॉन में बैठा अखबार पढ़ रहा था। हाशना बिना बताए ही चली आई थी। अलबत्ता बाहर गार्ड ने सोहराब से जरूर बात की थी। सोहराब ने बड़ी खुशदिली से उसका इस्तकबाल किया। रस्मी बातचीत के बाद उसने हाशना से पूछा, “जी बताइए... कैसे तकलीफ की?” “बाबा आप से मिलना चाहते हैं। मैं कई बार आपकी कोठी के चक्कर काट चुकी हूं, लेकिन आप कहीं बाहर गए हुए थे। अगर आप इजाजत दें तो मैं आज शाम को