शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर - 26

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झूठ इंस्पेक्टर सोहराब को छोड़कर जब कैप्टन किशन वापस पहुंचा तो वहां शैलेष जी अलंकार खड़ा हुआ पलकें झपका रहा था। वह ऑफिस के दूसरे रास्ते से अंदर आया था। शैलेष काफी थका नजर आ रहा था। उसे देखते ही कैप्टन किशन ने पूछा, “लौट आए?” “जी सर! तीन घंटे पहले लौटा। जरा घर चला गया था।” उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए कैप्टन किशन ने कहा, “तुम किसी को भी असिस्टेंट बना लेते हो!” उसके लहजे में नाराजगी थी। “मैं समझा नहीं सर!” शैलेष जी अलंकार ने घबराए हुए अंदाज में कहा। “तुम किसी आदमी को कोठी पर लेकर