सलाखों से झाँकते चेहरे - 9

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9 -- अलीराजपुर पहुँचते हुए रात के दस बज गए | एस्कॉट की जीप अलीराजपुर की सीमा पर ही एक छोटे से होटल पर खड़ी मिल गई थी | उसमें से उतरे हुए सिपाही और ड्राइवर आराम से ठहाके लगते हुए चाय पी रहे थे | "कमाल है, इन लोगों को ये भी ध्यान नहीं कि जिन लोगों के लिए इनकी ड्यूटी लगी है, वे सही सलामत पहुँचे भी या नहीं ?"इशिता ने फुसफुसाकर रैम से कहा | " मैडम ! सब ऐसेइच चलता है ---" वह भी इशिता के कान में फुसफुसाया | इशिता को गुस्सा आ रहा था।