प्रेम के नवरात्रि

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आज फिर साल का दूसरा महीना आया है सब के मन में अनेको समन्दर के बराबर उफान है, विशेष कर लड़कियो के मन में. पर कुछ समझ नहीं आता की क्या करू किस से बोलूँ,हा ये विचार सामान्य बात है.पर मुझे ये विचार नहीं आए कभी भी की क्या करू क्या नहीं.मेरे जीवन एक ही लक्ष्य उसके आ गये सब कोई कुछ नहीं अपने पापा का............ एक ही सपना उनकी ब्बर शेरनी नीली बत्ती में आए........मुझे उन लड़कियो पर तरस आता है जो इन प्रेम के नवरात्रो के हथे चढ़ जाती है क्यू करती हो अपने माँ -पापा की पगड़ी