वसंत ऋतु "अपनी आभा से धरती को करने को गुलजार सुमन धरा पर खिले संग ले, सतरंगी संसार, पहन हरित वसन बसंत ने,जीवन दिया धरा को मंद पवन संग उड़ -उड़कर,भर देती घर द्वार ।।" कहीं गर्मी में झुलसते मानव तो कहीं हिमाच्छादित रातों में ठिठुरते जन पर धन्य हैं हम जिन्होंने जन्म लिया भारत विशाल में। इसकी स्वर्ग सी धरती पर सदा चक्र गतिमान रहता है षड्ऋतुओं का। ग्रीष्म, वर्षा,शरद, हेमंत,शिशिर और वसंत अर्थात विभिन्न रूपों और प्रकृति की क्रीड़ा स्थली हमारा देश भारत। प्रकृति के रूप और