बात उन दिनों की है जब स्कूटर,मोटरसाइकिल,कार महिलाएँ बहुत ही कम चलाया करती थी । इंटरमीडिएट करने के बाद जब हमारा दाख़िला डिग्री कॉलेज में हुआ था ,तब हम सहेलियों के साथ पैदल जाते ।कभी साइकिल से जाते तो कभी-कभी एक ही साइकिल से दो सहेलियाँ एक साथ चले जाते थे। हमारी सहपाठी दो सहेलियाँ कॉलेज से पॉंच किलोमीटर दूर रहती थी,वह प्रतिदिन साइकिल से ही कॉलेज आती थी।स्कूटर या स्कूटी की कोई व्यवस्था नहीं थी न ही किसी का ध्यान इस ओर आकर्षित होता था।एक