रोज़ डे

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कुछ बातें/यादें बरसों बरस भी ताजा रहती है । पिछले बरस मन के सिक्त सुगन्धित कोने की छोटी सी पर्ची लिखी थी । एक बार फिर से सब यादें ताजा हो गयी ।*******एक महीना हो चला था हमको एक दूसरे का हुए । याद है जब एक बार प्रेम नगर से वापिस लौट रहे थे तो आपके एक पुराने से मकान के बाहर चेतक स्कूटर रोक कर कहा था," आओ जरा मेरे साथ ... "हैरान परेशान सी मैं आपके पीछे पीछे चल दी थी। बाहर से जंग खाये गेट वाला वो मकान अंदर एक विस्तृत रूप मे नर्सरी (अनुराग नर्सरी)