7 कुरूवंशी निषादकन्या सत्यवती की सन्तान ’जब जब आपदायें आई हैं, किसी नये पथ का निर्माण उपस्थित हुआ। उस पथ के स्वरूप का निर्धारण उस आपदा पर निर्भर रहा है।’’इस गहन चिन्तन में निषादराज बारात लेकर लौट आये। जैसे ही उन्होंने निषादपुरम में प्रवेश किया , परमहंस बाबा की खोज की गई। परमहंसजी का कहीं कोइ पता नहीं चला। हिरण्यधनु राजप्रसाद के विशाल कक्ष में सिंहासन पर विराजमान थे। उन्होंने विवाह के उपलक्ष में होने वाले लोकनृत्यों का बहिष्कार कर दिया है। पास में ही मंत्री चक्र्रधर बैठे थे। पहरे पर पहरे दार धनुषबाण लिये खड़े हैं। इस समय