जिंदगी - 1

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जीवन की परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि में भिन्न होती है। आज के परिवेश में हम दौड़भाग में इतने व्यस्त हैं की स्वयं के लिए समय ही नहीं है। अर्थात हम स्वयं से कभी ये भी नहीं पूछ पाते की हम कहाँ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं? कहाँ तक हमें ऐसे ही चले जाना है? हमने पाना क्या है? क्यूंकि“मृत्यु एक अटल सत्य है, जो हम सब का अंतिम पड़ाव है”।और वहां पर जा कर मृत व्यक्ति के लिए ये यात्रा, ये दौड़भाग, ये मौज मस्ती सब रुक जाता है, समय भी। मैं जीवन को समझने के लिए