मेरे भाई की शहादत

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एक दिन की बात है, मैं अपने आँगन में चहलकदमी कर रहा था कि मेरा बेटा आया और कहने लगा, “ पापा आँगन में लगा यह नीम काफी बेतरतीबी से फ़ैल रहा है, इसके नीचे भी कितना कचरा इकट्ठा होगया है, सूखे पत्ते, निम्बोलियों का ढेर लगा हुआ है. पेड़ के नीचे बैठ भी नहीं सकते, पेड़ पर बैठे, ये पक्षी, बीट करते रहते हैं. सारा आँगन गंदा किया हुआ इन्होंने ..कब तक कोई इसकी सफ़ाई करता रहे? आजकल पैसा देते हुए भी सफ़ाई वाले नहीं मिलते.” मैंने उसकी बात के रुख आ अंदाज़ लगाते हुए