360 डिग्री वाला प्रेम - 35

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३५. विचलन अप्रत्याशित चीजें विचलित करती हैं, पर जब कदम-दर-कदम आप समझ सकते हो कि क्या होने जा रहा है… तो आप स्वयं संवेदना के स्तर पर भाव शून्य हो जाते हो. यही कुछ आरिणी के साथ हो रहा था. वह अब समझ गई थी कि चाहे जितना प्रेम दिखाओ, जितने समर्पण से रहो, वे हर बात में कोई न कोई कमी निकाल कर मूड खराब करने का रास्ता ढूंढ ही लेती हैं. वे उन कुछ लोगों में से लगी उसे, जो अपने हाथों से अपनी दुनिया में कांटे बिछा देते हैं. न उन्हें पता चल पाता है, और न