वचन--भाग (१०)

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वचन--भाग(१०) अनुसुइया जी,सारंगी को भीतर ले गईं,साथ में दिवाकर भी सब्जियों का थैला लेकर भीतर घुसा और उसने दरवाज़े की कुंडी लगा दी,उसे अन्दर आता हुआ देखकर सारंगी बोली____ ओ..भाईसाब! भीतर कहाँ घुसे चले आ रहो हो? मैं यहाँ का किराएदार हूँ और कहाँ जाऊँ,दीदी! दिवाकर बोला।। फिर से दीदी! मुझे दीदी मत कहो,सारंगी बोली।। अच्छा! अब तू चुप होगी,मेरी भी कुछ सुन ले या खुद ही अपना हुक्म चलाती रहेंगी,अनुसुइया जी बोलीं। अच्छा,बोलो माँ! क्या कहना चाहती हो? सारंगी ने पूछा।। कुछ नहीं, बस इतना ही कि आज सब्जियां लेने बाजार गई थी,किसी मोटर