वचन--भाग(२) उधर शहर में प्रभाकर अपना सामान बाँधने में लगा था तभी उसके मित्र कैलाश ने आकर पूछा___ कहीं जा रहे हो मित्र! हाँ! रात की गाड़ी से निकलूँगा, गाँव जा रहा हूँ, इम्तिहान जो हो गए हैं और अभी नतीजे आने में वक्त हैं तो यहाँ भी रहकर क्या करूँगा? प्रभाकर बोला।। और सुनैना का क्या?वो तुम्हारे बिन रह पाएंगी, कैलाश ने पूछा।। हाँ! भाई यही तो कसौटी है, कभी कभी अपनोँ की खातिर बहुत कुछ त्यागना पड़ता है और अगर उसे मुझसे सच्चा प्रेम है तो मेरा इंतज़ार जरूर कर पाएंगी, नहीं तो इसका मतलब उसकी मौहब्बत