आईने के सामने खड़ी रीनी आईने के भीतर अपने को ढूंढ रही थी। वह इस प्रक्रिया में खोई थी कि उसे अपने कानों में सरगोशियां सुनाई पड़ी-' रीनी, ये रीनी, रुको! अब रुक जाओ बाबा! तुम गिर जाओगी।' "अरे, ये तो राघव की आवाज है!' रीनी चौंक पड़ी। उसे ये आवाज आईने के अंदर से आती लगी। ये आवाज सुनकर रीनी आईने को गौर से देखने लगी। आईने के उस पार राघव, उसके पीछे दौड़ रहा था। राघव को अपने पीछे दौड़ाने में रीनी को मजा आता था। रीनी आगे, राघव पीछे। दौड़ते- दौड़ते