बचपन की बारिश और काग़ज की नाव

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सेवासदन वृद्धाश्रम__ अरे,किशन!आज तूने पोहा तो बहुत अच्छा बनाया हैं, मिस्टर गुप्ता बोले।। चलिए गुप्ता अंकल आपको कुछ तो पसंद आया मेरे हाथ का,किशन बोला।। हाँ...हाँ...रोज से तो आज का नाश्ता थोड़ी ठीक है, मिसेज नवलानी बोलीं।। नवलानी आंटी! आपको तो कभी भी मेरे हाथों का कुछ पसंद ही नहीं आता,आप खुद इतना अच्छा खाना जो बनातीं हैं, उस दिन जो आपने दमआलू बनाया था ना,आज तक जुबान पर स्वाद है किशन बोला।। इस वृद्धाश्रम में ऐसे ही बातें चलती रहतीं हैं, ज्यादा लोग तो नहीं रहते मुश्किल से सात आठ पुरूष होगें और चार पाँच महिलाएं,आपस