ज़िन्दगी का आखिरी दिन

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अरे, सुबह के चार बजे का अलार्म बजा,चलो उठती हूं, लेकिन आज कुछ अजब सा एहसास हो रहा है,उम्र जो हो गई है, साठ कि जो हो गई हूं,चल धार्मिणी उठ और शुरू कर आज का दिन। चल पहले fresh होकर walk पे जाते हैं , फिर आज दिन भर क्या करना है, फिर सोचते हैं ,बिस्तर से उतर कर ,पति की फोटो को प्रणाम किया। ‌ धार्मिणी आज बहुत खुश थी, पीने के लिए पानी गुनगुना किया, और उबालने के लिए आलू चढ़ा दिए,आज सबको अपने हाथों के आलू-प्याज के परांठे खिलाऊंगी,सब बहुत दिन से कह रहे हैं, खासकर