नंदिनी के दर्द को दो और आंखें भी महसूस कर रही थी। वे आंखें भी रो रही थीं। वो दिल भी नंदिनी के साथ सिसकियां ले रहा था। ये थी रीनी। दर्द उसके पास भी था- प्यार में थोखा खाने का दर्द। इस पीड़ा को उससे बेहतर कौन समझ सकता है! उस दर्द से वो गुजर चुकी थी और उस वक्त यदि नंदिनी रीनी की सहायता नहीं करती तो शायद आज रीनी इस दुनिया में नहीं होती। उसका जीवन बचाने वाली, उसे एक नया जीवन देने वाली नंदिनी ही थी।