अनचाहा रिश्ता - (ये औरते ) 14

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दिन बीत रहे थे। धीरे धीरे ही सही पर एक अच्छी दोस्ती की शुरुवात तो हो रही थी। मीरा की पसंद नापसंद से लेकर सारी बातो का ध्यान रखता स्वप्निल। अब उसे फिक्र है ये बात तो मीरा भी समझ गईं थीं। शाम को दोनो ऑफिस के बाद घूमते , रात का खाना खाते फिर वो मीरा को घर छोड़ता। मानो दिन कब खत्म हो जाता पता नहीं चल रहा था। रात में फिर सुबह का इंतेज़ार होता। दोस्ती कितनी ख़ूबसूरत होती है। खास कर जब वो दोस्त आपका जीवनसाथी हो।" अब ओर क्या खरीदी करना है मीरा तुमने पूरी