यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम (6)

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मातृभारती के सभी सदस्यों और पाठकों को मेरा नमस्कार ? यादों के झरोखों से —निश्छल प्रेम (1),(2),(3),(4),(5)आपने पढ़ी कैसी लगी रेटिंग करके अवश्य बताइएगा।जिन्होंने पढ़ी,पसंद की उनका हृदयतल से आभार ? यादों के झरोखों से—निश्छल प्रेम (6)प्रस्तुत है।एक दिन मैं बहुत ही उदास अपनी लाइब्रेरी में बैठी थी तभी पीछे से आकर किसी ने मेरी दोनों आँखें हाथों से बंद कर दी,मैंने हाथों से टटोलने के बाद जाना यह तो मेरी प्रिय सहेली नीति है।मैं आज कॉलेज तो आई थी लेकिन कक्षा में नहीं गई थी।नीति मेरी कक्षा में नहीं पढ़तीं थी