बिटिया के नाम पाती... - 6 - एक पाती मेरी अभिलाषा के नाम

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मेरी प्यारी अभिलाषातुम मुझे बहुत अज़ीज़ हो, शायद खुद से भी ज्यादा... और इसीलिए तुम्हें अब तक दिल में महफूज़ रखा है। तुम्हें पाने की ज़िद में खुद को खो दिया है मैंने... और शायद इसीलिए उम्र की आधी सदी गुजरने के बाद मिर्ज़ा ग़ालिब याद आ रहे हैं...हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि, हर ख़्वाहिश पे दम निकलेबहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले...इन पंक्तियों से तुम समझ ही गई होंगी कि मेरी ज़िंदगी में तुम्हारी अहमियत क्या है? जबसे होश संभाला घर की महिलाओं को परिवार के दायित्वों और परिजनों के सपनों के लिए खुद की इच्छाओं को