अध्याय 9 किसी की चुगली करना या बुराई करना उन्हें बिलकुल पसंद नहीं था। आप किसी के बारे में बोलो तो भी कह देंगे अरे हमें किसी से क्या लेना देना। तुम अपना काम करो। कोई आकर घंटों बैठकर उनसे बातें करता। उसके जाने के बाद मैं पूछती क्या कह रहा था? तो उनका जवाब होता "मैंने तो सुना ही नहीं। पता नहीं क्या बक रहा था। फालतू बातों पर मैं ध्यान नहीं देता।" ऐसी बहुत सारी खूबियां मुकेश जी में थी। जिससे मैं उनकी ओर आकर्षित होती चली गई। मुझे तो अफसर की चाह थी वह मुझे मिल चुका