ये भी एक ज़िंदगी - 4

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अध्याय 4 मेरे पीहर में नल लगे हुए थे। गवर्नमेंट क्वार्टर्स थे। बाथरूम, रसोई और चौक सब में अलग-अलग नल। यहां पर नहाने के लिए नमकीन पानी कुंए से खींच कर भरना पड़ता था। ताजा पानी पीने के लिए हेंडपंप को हाथ से चलाकर पानी निकालना पड़ता था। बहुत ताकत लगती थी। ऐसे काम मैंने कभी किया नहीं था। मैं चुप रहती कुछ नहीं बोलती मां-बाप को भी कह नहीं सकती। ऐसे ही दिन गुजर रहे थे। मुझसे कुछ गलती हो जाती तो सासू मां पति से शिकायत करती तो वह कहते जो चप्पल पैर के लिए ठीक नहीं उसे