रहस्यमयी टापू--भाग (१९)

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रहस्यमयी टापू--भाग(१९) शाकंभरी की बात सुनकर सब विश्राम करने लगें और अर्धरात्रि के समय सब जाग उठे,जिससे जो बन पड़ा वैसे अस्त्र शस्त्र लेकर शंखनाद से प्रतिशोध लेने निकल पड़े,वनदेवी शाकंभरी उड़ने वाले घोड़े पर सवार हो गई अब उसने अपने लबादे को हटा दिया था,लबादा हटाते ही उसके शरीर से आते हुए प्रकाश ने सारे वन को जगमगा दिया।। तभी अघोरनाथ जी बोले,पहले हम ये तो तय करें कि कौन कौन कहाँ कहाँ प्रवेश करेगा, इसके लिए हमे एक रणनीति बनानी होगी,मैं सोच रहा हूँ कि सर्वप्रथम हमें चित्रलेखा के निवास स्थान जाकर चित्र लेखा को समाप्त करना