इयरफोन से बनी प्रेम कहानी

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रोहित का ऑफिस मेट्रो स्टेशन से लगभग 20 मिनट के पैदल रास्ते पर था, अतः वह प्रतिदिन साढ़े आठ वाली मेट्रो से जाता था।आज के युवा की पहचान है गले में लटका या कानों में लगा हुआ इयरफोन और हाथों में पकड़े मोबाइल पर थिरकती हुई उंगलियां।खाना भूल जाएं, किंन्तु मोबाइल एवं हेडफोन भूलना नामुमकिन है।रास्ते भर गाने सुनता,वीडियो देखता,और तो औऱ,ऑफिस पहुंचने के बाद ही इयरफोन कान से निकलकर जेब में समाता।कई बार कान में इयरफोन लगे होने से दुर्घटना हो जाता है क्योंकि इधर उधर की आवाजें सुनाई नहीं देतीं और ध्यान भी नहीं होता चारों तरफ।खैर,