ये किताब मैं मेरी मां स्वर्गीय श्रीमती अनिमा भट्टाचार्या को समर्पित करती हुं। राजू दसवीं में पढ़ता था और सबका बहुत ही दुलारा था।राजू को किसी तरह की कोई कमी नहीं थी। उसके घर में दो काम करने वाले थे एक था दिनेश काका दूसरी कृष्णा वाई। कृष्णा वाई की एक बेटी थी आनंदी जैसा नाम वैसा काम। बहुत ही खूबसूरत, खुश मिजाज वाली लड़की थी आनंदी। राजू आनंदी को अपनी छोटी बहन जैसा मानता था। राजू में ये खास बात थी कि काम करने वाले को कभी नौकरानी नहीं मानता था।कृष्णा वाई आनंदी को काम पर लाती थी क्योंकि राजू का बंगला काफी बड़ा था। आनंदी को पढ़ने लिखने का बड़ा शौक