भाग-८ सब भोग प्रसाद खाने में लगे थे सुलोचना को देख एम.के.ने रसोगुल्ला उठा कर मणि की पत्तल में रख दिया और बोला- “मेरा कोटा पूरा हो चुका है मुँह मीठा करने का।” सुलोचना का चेहरा ज़र्द हो गया उसने सामने रखे डोंगे से दो रसगुल्ले लिए और खाने शुरू कर दिए। उसे ऐसे खाते देख मणि बोला- “सुलोचना आराम से खाओ।” तभी माँ ने उसे अपनी सखियों से मिलवाने के लिए बुलवाया वह छम-छम करती हुई उनके क़रीब जा पहुँची। आज उसके आगे-पीछे कई चक्कर एम.के.ने लगाए पर वह हर बार उससे कतरा कर भीड़ का हिस्सा बन जाती।