8. समय के साथ कुछ और दिन यूं ही गुज़र गए| सृष्टि ने दादी के साथ हुए वार्तालाप को अपने तक ही रहने दिया| अपनी माँ के पूछने पर उसने कहा कि- “माँ! दादी आपको बहुत प्यार करती हैं | उन्होंने आपके लिए कभी भी कोई ऐसी बात नहीं की| जिससे आपको चोट पहुंचे| आज मुझे उनके साथ सोते हुए बरसों हो गए हैं| वह हमेशा आपकी बहुत तारीफ़ करती हैं| आपके किए गए त्याग को बहुत मान देती हैं| पर मुझे आपके किए हुए उस त्याग को जानना है माँ| मैं आपकी बेटी हूँ |” तब विनीता ने अपनी