7. खाना खा पीकर दादी-पोती अपने-अपने बिस्तर में घुसी ही थी कि दादी ने अपनी बात शुरू की.... "जब मैं ब्याह कर आई थी तब तेरे दादाजी के परिवार की बहुत शान-शौकत थी। तेरे बड़े दादाजी और दादाजी में दो साल का ही अंतर था| तेरे पड़ दादा-दादी बहुत जल्दी गुज़र गए थे| बड़े दादा की लापरवाहियों से तेरे पड़ दादाजी बहुत अच्छे से वाकिफ़ थे| वह कहते थे...‘पूत के पाँव पालने में नज़र आ जाते हैं|’ शायद यही वजह थी कि वह उनको कोई रुपयों-पैसों से जुड़ी जिम्मेदारी नहीं सौंपते थे| उनके हिसाब-किताब में भी खोट था| पर तेरे