6. तेरे दादा जी ज़िद थी कि सभी बच्चों को ख़ूब पढ़ाकर समर्थ बनाना है| उन्होंने घर में पढ़ाई के लिए बहुत अनुशासन रखा| तभी सब बच्चे पढ़-लिख गए। कोर्ट-कचहरी में इतना कुछ देखने के बाद, उनको हमेशा ही लड़कियों का पढ़ना भी बहुत जरूरी लगता था| पर तेरे बड़े दादाजी ने कभी यह जानने की कोशिश नहीं की कि उनकी बेटियां क्या कर रही हैं। कौन-कौन सी कक्षा में आ गई हैं। उनको अपने मन का पहनने-ओढ़ने को मिल रहा है या नहीं| उन्होंने कभी नहीं पूछा|...उनको अपनी बेटियों पर कभी प्यार उमड़ा हो, मुझे ध्यान नहीं आता|.... जो