सुलोचना - 1

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भाग-१ सुलोचना! जैसा नाम वैसा ही रूप बड़ी-बड़ी आँखे गेहुँआ रंग लम्बे काले बाल, उसके रूप को और भी निखार देते थे। उसकी गहरी सिंदूरी माँग बड़ी सी सुर्ख़ लाल सिंदूरी बिंदी! बहुत सलीक़े से माथे पर सज़ा कर गोलाकार रूप में उसके श्रृंगारिक मनोभाव को दर्शाते थे। सुलोचना के ब्याह को तीन वर्ष हो चुके थे। शशिधर मुखर्जी ने अपने से कम हैसियत के घर की बेटी को अपनी बहू बनाया था। उसके पीछे सुलोचना का रंग- रूप और गुण ही सबसे बड़ा कारण था। हालाँकि सासु माँ कुसुम मुखर्जी का मन बिलकुल भी नहीं था। बिना दान- दहेज़