तोड़ के बंधन - 2

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2 “मम्मा! इस शनिवार मेरे स्कूल में पैरेंट-टीचर मीटिंग हैं. आपको आना है.” आज निधि ने स्कूल से आते ही कहा तो खाना परोसती मिताली के हाथ रुक गए. “भागने से समस्याएं कभी हल हुई हैं क्या. अब तो वैभव के हिस्से के काम भी मुझे ही करने होंगे. आज नहीं तो कल,नौकरी के लिए भी तो घर से बाहर निकलना ही होगा. अपना बोझा खुद ही उठाना पड़ता है. क्या हुआ जो कोई पल दो पल के लिए हमारे इस भार को कम कर दे लेकिन सदा के लिए तो कौन हमारी जिम्मेदारी लेगा.” मिताली मन ही मन न