सोच से परे

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"हलो मीरा कैसी हो बेटी? तुम डरना मत मै हमेशा तुम्हारे लिए यहाँ मौजूद रहूंगी……...तुम्हें कभी भी डर लगे तो तुम मुझे बेझिझक फ़ोन कर लेना"……...मेरी नानी 'माला' हर वक़्त हमारे घर के लैंडलाइन के पास बैठी रहती और दिन मे करीब दस-बारह बार वो फ़ोन बजता और वो इन्ही शब्दों को अपनी कांपती आवाज़ मे हर बार दोहराती…… पिछले तीन महीनो से बस यही चल रहा था हमारे घर मे….माफ़ कीजियेगा मै आपको अपना परिचय देना तो भूल ही गया….नमस्कार मेरा नाम पारस है और ये घटना मेरे खुद के साथ घटी थी जिसे मै आपके सामने रखने जाने