दिल धड़क रहा है (हृदय प्रत्यारोपण)

  • 6.5k
  • 1.6k

नमस्ते आंटी! मैं दीपक; ये मेरी माँ और मेरी पत्नी ज्योति! शायद आपने मुझे पहचाना नहीं ..."आइये... तशरीफ़ रखिये ..." मैं, अभी आती हूँ. बड़ी मुश्किल से अपने आसुंओ को रोकती हुई शबाना कमरे में आती है और उसकी रुलाई फूट जाती है. "अरे! बेगम कौन है; दरवाज़े पर और और तुम रो क्यों रही हो?" शबाना के शोहर; युसूफ अपनी बेगम से पूछते हैं.जी... जी... वो...; शबाना अपने बेटे आबिद की तस्वीर के आगे रोने लगती है. अपनी सिसकियों को रोकते हुए कहती है; "जी, वो, जिसे, अपने आबिद का दिल ....." शबाना और युसूफ दोनों ही उस भयानक