तानाबाना – 28 दिन निकलने के साथ अस्पताल में धीरे धीरे चहल पहल शुरु हो गयी थी । साफ सफाई करनेवाले कर्मचारी आ गये थे । इक्का दुक्का मरीज भी दीखने लगे थे । रवि एक कोने में बैठा था । उसका दिल बुरी तरह से धङक रहा था । घबराहट के मारे बुरा हाल था । लेबर रूम में धर्मशीला जितनी जद्दोजद कर रही थी , उतनी ही जद्दोजद इस समय उसके दिमाग में चल रही थी । वह बरामदे में इधर उधर टहल रहा था । मन ही मन सभी देवी देवताओं का स्मरण कर रहा