उन दिनो स्कूल से आकर जल्दी से होम वर्क ख़त्म करने की जल्दी रहती थी ,क्योंकि शाम होते ही खेलने जो जाना होता था ।सब अपना अपना काम ख़त्म करके बाहर उपस्थित हो जाते थे ।अगर किसी का काम ख़त्म ना हो रहा हो तो मदद के हाथ तैयार रहते थे ,इतनी एकात्मकता थी सबमें । मँझली और छोटी तो सीमा का हाथ बँटाने को हरदम तैयार रहती थीं । सीमा के कोने वाले घर दिन में ना जाने कितनी बार दौड़ कर जाना होता था ।उसके घर में अनुशासन बहुत था ।