रोशनी - 2

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खट खट खट ….खट खट खट…..उसके दिमाग में एक शोर सुनाई दे रहा था जैसे कोई पुकार रहा हो….रौशनी…..रौशनी… रौशनी… अचानक उसकी आँख खुल गई।दरवाजे पर कोई था। फिर से किसी ने उसका नाम लेकर पुकारा…”रौशनी...रौशनी….!” शब्बो आपा की आवाज थी।वह हड़बड़ा कर उठी। “आई….आपा….!”अगले पल वह दरवाजे के बाहर थी। “क्या हुआ आपा?”अंगडाई लेते हुए वह बोली।उनींदी सी….बाल माथे पर बिखर गए थे….आँखों का काजल रोने की वजह से गाल पर फैल गया था।इस पर कसावट लिए चोली।रुप तो गढ़कर दिया था ऊपर वाले ने। “इतनी देर तक सो रही थी!”आश्चर्य से शब्बो ने पूछा। “और आँखों के नीचे