मुक्ति

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चल यार आज तुझे दिल्ली की रंगीनियों दिखाते हैं ।"अमित के दोस्त ने हंसते हुए कहा। "मतलब!" "तू चल तो सही हमारे साथ। आज तू जिंदगी की भरपूर मजे लेना।" " मैं समझान नहीं !" " सब समझ में आ जाएगा ।बस आज तुम तैयार रहना फिर देखना।" अमित की 6 महीने पहले ही दिल्ली में नौकरी लगी थी। उसका परिवार गांव में रहता था ।परिवार में मां और एक बहन थी। बड़ी गरीबी के दिन देखे थे उसने।अपनी मां को शुरू से ही संघर्ष करते देख, अमित और मन लगाकर पढ़ता। उसकी मेहनत और मां के आशीर्वाद से उसकी