ईश्वर का घर

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‘पापा, दीदी को मत ले जाओ. मैं अब उसके संग कभी नहीं खेलूंगा. प्रॉमिस पापा. मैं उन्हें परेशान भी नहीं करूंगा.’ राजनाथ ने पन्द्रह साल की रानू का हाथ पकड़कर जैसे ही घर की दहलीज से बाहर कदम रखा तो अनिकेत पीछे से आकर उनका शर्ट खींचते हुए उनसे लिपट गया.राजनाथ ने पीछे मुड़कर तेरह साल के अनिकेत पर नजर डाली. उनसे नजरें मिलते ही अनिकेत सहमते हुआ उनसे दूर जाकर खड़ा हो गया.‘मम्मी, आप पापा को समझाओं न ! दीदी वहां हमारें बिना कैसे रह पाएगी ?’ अनिकेत लगभग रोते हुआ मम्मी के पास पहुंच गया.अनिकेत की गीली आंखें