वो क्यां था

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मातृभारती परिवार के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम आज मैं थोड़ी सस्पेंस भरी कहानी लेकर आया हूं। आइए ज्यादा बात ना करते हुए कहानी की शुरुआत करता हूं। संध्या की कालीमां छा रही थी, सूरज जैसे दिन भर की थकान से क्षितिज कि ओर तेज़ी से बढ़ रहा था। और अंधेरा धिरे धिरे घना हों रहा था। ऐसे सुनसान माहौल में और विराने जंगल में कुछ दबे कदमों की आवाज सुंन से माहौल में भी सुनाई देती है। रोंगटे खड़े हो जाए ऐसे शर्द बर्फीले ठंडे माहौल में भी पसीना छूट