खुशियाँ लौटी

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खुशियाँ लौट आई बेशक हर तरफ उदासी बिछी पङी थी ,पर वक्त हर पल बीत रहा था । सुबह सूरज समय से उदय हो रहा था और साम को सही समय पर छिप जाता । वाणी की शादी को बारह साल बीत गए थे पर आँगन अभी तक बच्चे की किलकारियों से वंचित था . जबकि साथ की सहेलियाँ और कर्ण के वे दोस्त जिनका विवाह उनके साथ या उनकी शादी के आसपास हुआ था , सब दो दो बच्चों के माता - पिता बन चुके थे । शादी के शुरूआती दिनों में तो वाणी ने इतनी जल्दी