आठवी शताव्दी के उत्तरार्ध का आइना महाकवि भवभूति साहित्य

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आठवी शताव्दी के उत्तरार्ध का आइना महाकवि भवभूति साहित्य आठवी शताब्दी के उत्तरार्ध में महाकवि भवभूति का साहित्य उनकी कृतियों के माध्यम से भारत वर्ष के मध्य भाग के समाज का राजनैतिक एवं सामाजिक परिवेश का स्पष्ट आइना प्रस्तुत करता है। इस तरह उनकी कृतियाँ उस समय की धरोहर के रूप में हमारे सामने आती हैं। इनको पढ़कर हमारे आज के परिवेश का आइना भी स्पष्ट दिखाई देता है। सबसे पहले हम यह तय करें कि उनकी रचनायें किस क्रम से लिखीं गई हैं। मेरी दृष्टि में उनका परिवार श्रीराम की परम्परा को मानने वाला रहा है।