एक अरसे बाद आज मैंने उसे कॉफी हाउस में बैठे देखा।वो जिसकी छवि आज भी मेरे हृदय पटल पर अंकित है।वो जो मेरा पहला प्यार भी है और आखिरी भी।पल्लव ! हां पल्लव ही तो नाम है उसका। मै किसी आवश्यक कार्य से आज सुबह से घर से बाहर निकली थी।वापस लौटते हुए काफी थकान महसूस हो रही थी, तो जाकर कुछ देर रेस्ट के लिए एक कॉफी हाउस की शरण ली।सोचा एक कप कॉफी मिल जाएगी तो थोड़ी थकान दूर हो जाएगी।मुझे क्या पता था कि यहां मुझे वो दिख जाएगा जिसके आने का इंतजार मै हर घड़ी किया