अंक - तेरह/१३कुछ क्षण पहले की बातचीत के दौरान एकदम सामान्य व्यवहार में से अचानक अदिती के बदले हुए चेहरे पर के हावभाव से ऐसा प्रतीत हाे रहा था, जैसे कि बड़ी मुश्किल से कोई भावना बाहर आने के लिए प्रहार करती हुई कांटों जैसी पीड़ा से जूझ रही हो इस हद तक अदिती के अस्तित्व को अस्वस्थ होते हुए देखकर कुछ देर के लिए शेखर भी विस्मित होकर सोचने लगा कि ऐसी तो कौन सी बात होगी कि इतनी दृढ़ मनोबल भी क्षण में डीग गया?तुरन्त ही शेखर भी बाल्कनी में उसके साथ खड़े होकर उसके स्वस्थ होने की